सेंट्रल ब्लॉक, निचली मंजिल
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शस्त्र और कवच
"मैंने (ईश्वर) लोहे का निर्माण किया, जो मनुष्यों के लिए बहुत कठोर और उपयोगी है." यह कुरान की एक आयत है, जो इस संग्रहालय के संग्रह में रखी एक फारसी तलवार पर लिखा हुआ है. फारस में, 'फौलाद-ए-हिंद' शब्द महान ताकत का पर्याय बन गया है. भारतीय स्टील को विश्व भर में अत्यंत सम्मानजनक और अत्यधिक मूल्यवान माना जाता है. 'दमसकश' के ब्लेड, जिसने 'टोलेडो' के ब्लेड के बाद भी अपनी पूर्व-प्रतिष्ठा बनाए रखा, वास्तव में भारतीय स्टील से बने थे.
सलारजंग संग्रहालय के हथियार और शस्त्रागार संग्रह में ऐसे दुर्लभ खजाने हैं, जिसमें पुराने आकर्षक हथियार और अग्नि-हथियार भारी मात्रा में हैं. सलारजंग संग्रहालय के अभिलेखों के अनुसार, शस्त्रागार में 1200 से अधिक वस्तुएं हैं. मैच-लॉक, फ्लिंट-लॉक, मज्जल लोडिंग गन, ड्यूलिंग पिस्तौल और रिवाल्वर सहित 196 अग्नि-हथियार हैं.
हथियार और शस्त्रागार के संग्रह में, अग्नि-शस्त्रों को छोड़कर, तलवार, कटार, ढाल, चेस्ट-प्लेट, हेलमेट और कवच के सूट हैं. यह 16वीं शताब्दी की शुरुआत से लेकर 20 वीं शताब्दी की शुरुआत तक का एक विशाल संग्रह है.
संग्रहालय में न केवल भारत के विभिन्न भागों के हथियार हैं, बल्कि फारस, तुर्की, फ्रांस, स्पेन, नेपाल, इंग्लैंड, बर्मा और जापान जैसे अन्य देशों के हथियारों का भी एक बड़ा संग्रह है.
तलवार, कटार, टबार, और हेल्मेट हैं, जो 'दमसकश' स्टील से बने हैं और प्रसिद्ध फारसी और तुर्की तलवार के प्रसिद्ध स्मिथ के अंकन और हस्ताक्षर लिए हैं, जो इस संग्रह को बहुत ही महत्वपूर्ण बनाते हैं. इस संग्रह में विश्व प्रसिद्ध स्मिथ और कटलरवाली फारसी तलवार भी है, जो स्वतंत्र फर्म थे और जो उनकी फर्म वांछित हथियारों का आदेश देने पर ही मुहर सहित हथियार बनाते थे.
भारत यूरोप के सभी हिस्सों से ब्लेड और कटार का आयात करता था, इन यूरोपीय ब्लेडों की सतह महीन सपाट होती थी, ये सफेद चांदी जैसी चमकाई हुई होती थी और इन पर रोमन भाषा में कारखाने के अंकन और कोड लिखे होते थे. इन विदेशी ब्लेड को भारतीय तलवारों के मूठ पर रखा गया था और तब जो तलवार बनती थी, उसे 'फिरंगी' कहा जाता था. इस संग्रह में 17वीं शताब्दी का "एस्पडेरो डलरेई" 'फिरंगी' तलवार एक दिलचस्प उदाहरण है.
संग्रहालय में नेपाली "धा" तलवारें बर्मा की "क्री" तलवारें और जापान की "समुराई" तलवारें भी हैं, जापानी तलवारों के सी-बोर्ड पर की गई हाथी दांत की बेहतरीन महीन कारीगरी उत्कृष्ठ शिल्पकला का प्रदर्शन करती हैं.
संग्रहालय के अग्नि-हथियारों के संग्रह को विशेष महत्व दिया गया है, इसमें मैच-लॉक, फ्लिंट-लॉक गन और पिस्तौलें शामिल हैं. "टीपू सुल्तान" के नाम से रखी रिवाल्वर संग्रहालय की शान है. संग्रहालय में हथियारों के माध्यम से प्रदर्शित किए गए उल्लेखनीय ऐतिहासिक व्यक्तियों में जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब और मोहम्मद शाह गाजी हैं.
जाम्बिया (कटार), दक्यिानी भारत, 19वीं शताब्दी
हेल्मेट, मुगल, भारत, 17वीं शताब्दी