संग्रह
सलारजंग संग्रहालय में संग्रहित वस्तुएं पूर्वकालिक मानव परिवेश का जीता - जागता आइना हैं, जो ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से आज की बीसवीं सदी तक की हैं. इस संग्रहालय की संग्रहित वस्तुओं में लगभग 46 हजार वस्तुएं, 8 हजार पांडुलिपियां और 60 हजार से अधिक मुद्रित पुस्तकें शामिल हैं. यह संग्रह भारतीय कला, मध्य पूर्वी कला, फारसी कला, नेपाली कला, जापानी कला, चीनी कला और पश्चिमी कलाओं में बांटा गया है. इसके अलावा, प्रतिष्ठित सलारजंग परिवार के नाम पर एक विशेष गैलरी - "संस्थापक गैलरी" भी समर्पित है. डिस्प्ले में प्रदर्शित वस्तुओं को 38 से अधिक गैलरियों में बांटा गया है.
भारतीय कला संग्रह में लघु चित्र, आधुनिक चित्र, कांस्य, वस्त्र, हाथी दांत से बनी वस्तुएं, हरे रंग के पत्थर से बनी वस्तुएं, बीदरी शिल्प कला के बर्तन, शस्त्र और कवच, पत्थर की मूर्तियां, लकड़ी की नक्काशी, धातु - बर्तन और पांडुलिपियां शामिल हैं. इस खंड में प्राचीन आंध्र मूर्तियों के साथ-साथ मध्यकालीन चित्र भी हैं. वर्ष 1961 में सलारजंग संग्रहालय को 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' घोषित किए जाने के बाद एक अधिग्रहण समिति का गठन किया गया था और मूल संग्रह में आधुनिक भारतीय कलाकारों की कई कला वस्तुओं को इसमें शामिल किया गया. सलारजंग संग्रहालय में संभवत: विश्व का सबसे बड़़ा 'बीदरी वेयर' संग्रहण भी है.
फारस, सीरिया और मिस्र से कालीन, पेपर (पांडुलिपियों), मिट्टी के बर्तन, कांच व धातु के बर्तन, फर्नीचर, लाहौर इत्यादि की विस्तृत व अत्यधिक मात्रा में विविधतावाली वस्तुएं मध्य पूर्वी विश्व की झलक दिखाता है. फारसी कालीनों पर “खुसरो” की कहानियों की नक्काशी और उकेरी गई कथाएं संग्रहालय की मूल्यवान वस्तुओं में से एक है.
यूरोपीय संग्रह में तैलीय चित्र, शानदार फर्नीचर पर सौंदर्यपरक कांच की वस्तुओंवाले, हाथी दांत से बनी बेहतरीन वस्तुएं, तामचीनी बर्तन और घडि़यां शामिल हैं. इस संग्रहालय की सबसे अमूल्य वस्तु जी.बी. बेनज़ोनी द्वारा संगमरमर पत्थर पर की गई शिल्पकारी "वील्ड रेबेका" है, जिसे सलारजंग - I द्वारा 1876 में उन्होंने अपने इटली दौरे के दौरान खरीदा था.
सलारजंग संग्रहालय उन चुनिंदा भारतीय संग्रहालयों में से एक है, जो सुदूर पूर्वी कला के व्यापक संग्रह का दावा कर सकता है और जिसमें चीनी मिट्टी के बर्तन, कांस्य, तामचीनी, लाख के बर्तन, कढ़ाई, कलाकारी, लकड़ी और जड़ों से बनाई गई जापानी और चीनी कला वस्तुएं शामिल हैं.
संग्रहालय में बच्चोंवाले सेक्शन में प्रदर्शित वस्तुएं सलारजंग - III की विस्तृत और विविधता भरी वस्तुओं को संग्रहित करने की रुचि का प्रमाण देती हैं. इस खंड में रखी गई वस्तुएं बच्चों को अनौपचारिक रूप से न केवल शिक्षा देती हैं, बल्कि उन्हें आनंद भी प्रदान करती हैं. इस संग्रहालय में 20वीं शताब्दी से पहले की एक रेलगाड़ी भी है, जो कुछ दूरी तक चलती है और यह इस गैलरी का प्रमुख आकर्षण है. इसके अलावा, गैलरी में चीनी मिट्टी के बर्तन, धातु, हरे पत्थर की वस्तुएं (जेड) और खिलौनों से बनी सेनाएं हैं.
संग्रहालय में दुर्लभ पुस्तकों और बहुमूल्य रोशनीनुमा पांडुलिपियों का एक विशाल पुस्तकालय है. अकबर, औरंगजेब और जहांआरा बेगम (शाहजहां की बेटी) जैसे सम्राटों की मुहर लगे और हस्ताक्षरवाली पांडुलिपियां हैं. पुस्तकालय के संग्रह से पता चलता है कि सलारजंग - III और उनके पूर्वजों साहित्य के महान संरक्षक थे. इस संग्रहालय से दर्शकों को भारत की कलाओं को देखने का एक झरोखा मिलता है और भारतीयों को दुनिया के अन्य देशों की कला के विभिन्न पहलुओं को देखने का अवसर भी मिलता है.