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सुदूर पूर्वी लकड़ी की नक्काशियां
सलारजंग संग्रहालय में 17वीं से 20वीं शताब्दी तक के काल की सुदूर पूर्वी देशों की लकड़ी पर बनी नक्काशियों का एक बड़ा संग्रह है. इस संग्रह में लकड़ी की मूर्तियां, लकड़ी के फर्नीचर और लकड़ी के सामानों पर लाख के कामवाली वस्तुएं का काम शामिल हैं.
लकड़ी पर नक्काशी करना एक कला है, जिसमें छोटी लकड़ी पर सजावट करने से लेकर बड़े आकार की गोलाकार लकड़ी, फर्नीचर पर सजावटभरी नक्काशी करना शामिल है. इस कला में उपयोग की जानेवाली लकडि़यों में उनकी कठोरता और अनाज उपजनेवाली लकड़ी की गुणवत्ता में बहुत अंतर होता है. सबसे अधिक उपयोग की जानेवाली लकडि़यां बॉक्सवुड, देवदार, नाशपाती, अखरोट, विलो, ओक और आबनूस हैं. इन पर नक्काशी करने के लिए उपयोग किए जानेवाले औजारों में सरल गेज, छेनी, मैलेट और नुकीले औजा़र होते हैं. यद्यपि यह सार्वभौमिक रूप से सबसे पुरानी कला माध्यम में से एक था, लकड़ी पर नक्काशी की कला को समय और जलवायु ने प्रभावित किया है.
लकड़ी पर नक्काशी करने की कला चीनी वास्तुकला, चित्रकला और मूर्तिकला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. लकड़ी पर नक्काशी करना न केवल पारंपरिक चीनी कला का रूप है, बल्कि यह चीनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है. लकड़ी पर नक्काशी करने की कला का विकास मिंग के युग से लेकर किंग राजवंशों के युग तक देखा जा सकता है. लकड़ी पर नक्काशी करने की कला का शाही महलों, मंदिरों और समृद्ध व्यापारियों के घरों को सजाने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था. लकड़ी पर नक्काशी करने की कला मुख्यत: दो श्रेणियां हैं, पहली - मिंग शैली का प्रतिरुप और दूसरा आधुनिक फर्नीचर. मिंग शैली के फर्नीचर को दुनिया भर के लोगों द्वारा बड़ी संख्या में सराहा जाता है, जिसका कारण है इसका भावात्मक और जीवांत प्रकटीकरण.
जापान में चीनी - लकड़ी पर ही अधिकांश नक्काशी देखने को मिलती है. देशी नक्काशीकार वनस्पति को एकत्रित करने का इच्छुक है लेकिन वह नहीं चाहता कि वह उस पर हावी हो. वह पहले अपने पत्ते, फल और फूल बनाता है और फिर डंठल को इंगित करता है. ऐसा वह खासकर तब करता है, जब पक्षियों और जानवरों को अत्यधिक सजावटी प्रभाव देना होता है.
सुदूर पूर्वी देशों में नक्काशीकार अपने हाथ की कला के लिए बेजोड़ है. इनके द्वारा पूर्ण कौशलभरे विरूप और अनुकरणीय कलाकारियां बनाई जाती हैं, इन देशों द्वारा की कई नक्काशियों में, जापान देश की कला के काम सुंदर हैं, खासकर जब नक्काशीकार कमल, कुमुदिनी या अन्य जलीय फूलों की प्रतिकृति बनाता है.
लकड़ी की कुर्सी, चीन, किंग वंश,
17 वीं शताब्दी के आरंभ से 20वीं शताब्दी
लकड़ी की कुर्सी, किंग वंश, 20 वीं
शताब्दी 17 वीं शताब्दी के आरंभ में.