सेंट्रल ब्लॉक, निचली मंजिल
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भारतीय वस्त्र
पूरी दुनिया में भारत वस्त्रों की समृद्ध परंपरा के लिए जाना जाता है. यह परंपरा सिंधु घाटी सभ्यता से चली आ रही है, जहां मोहनजोदाड़ो में खुदाई में सूती पाया गया था. भारतीय वस्त्रों की इस गैलरी में पिछली तीन शताब्दियों से जुड़े वस्त्रों, परिधानों और विविध वस्तुओं के विभिन्न नमूनों के माध्यम से वस्त्रों की समृद्ध परंपराओं से दर्शकों को परिचित करने के प्रयास किए गए हैं.
कपास के अलावा ब्रोकेड, हिमारू, मशरु, मुस्लिन, रेशम, मखमली और ऊन के कपड़े भी प्रदर्शित किए गए हैं. गैलरी में पगड़ी, साफा, चौगा, जामा, पटका, कमरबंद, साड़ी, ओढ़नी और शॉल जैसे परिधान भी देखे जा सकते हैं. इन प्रदर्शित वस्तुओं की श्रृंखला से अलग मुगल काल के बने हुक्के के निचले भाग की वस्तुएं भी हैं.
इस संग्रहालय में 18वीं और 19वीं शताब्दी के बने कश्मीरी शॉल का एक बड़ा संग्रह भी है. शॉल कश्मीर वस्त्र उद्योग की समृद्ध परंपराओं का परिचय देते हैं, जिसके लिए भारत ने विश्वभर में नाम कमाया है. यहां प्रदर्शित शॉल की बनावट जटिल और रंगीन है. कश्मीर के शॉल में पाई जानेवाली 'तूरांज' एक विशिष्ट शैली है और इस शैली के यहां चार शॉल प्रदर्शित किए गए हैं, जिनमें से तीन पर सुंदर शैली से बॉर्डर को सजाया गया है.
संग्रहालय में ब्रोकेड का एक विशेष समृद्ध संग्रह है. इस संग्रहालय में साड़ी, दुपट्टा, ओढनी के भी शानदार संग्रह हैं. इसके अलावा, यहां वेशभूषा का भी एक बड़ा संग्रह है, 19वीं शताब्दी का मलमल का चारजामा के साथ मीनाकारी कढ़ाई किया हुआ वेस्टकोट एक मूल्यवान धरोहर है. यहां फूल और ज़री से कढ़ाई किया गया एक विशाल अंगरखा भी है, जो दर्शकों का ध्यान खींच लेता है.