सेंट्रल ब्लॉक, निचली मंजिल
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हाथीदांत की उकेरियां
सलारजंग संग्रहालय में दुनिया भर के हाथी दांत की नक्काशी का विशाल संग्रह है. यह संग्रह मानव इतिहास में शिल्पकला के क्षेत्र में हाथीदांत की नक्काशी का महत्वपूर्ण स्थान होने का प्रमाण देता है. हालांकि, इस संग्रह में अधिकांश भाग आधुनिक समय का है, फिर भी यह कलाकारों द्वारा उनकी उल्लेखनीय कला - कुशलता का परिचय देते हैं कि वे किस प्रकार उत्कृष्ठ गुणवत्तावाली वस्तुएं तैयार करने में सक्षम थे.
सिंधु घाटी सभ्यता के समय से 20वीं शताब्दी तक, भारतीय शिल्पकारों ने अपनी कल्पना को मूर्त रूप देने के लिए हाथी दांत पर नक्काशी की, क्योंकि यह स्थायी के साथ – साथ कोमल भी होता है.
'आइवरी' शब्द न केवल हाथी दांत के लिए प्रयोग होता है, बल्कि दरयाई घोड़ा, सफेद व्हेल और हिप्पोपोटोमस के सींगों और दांतों के लिए भी प्रयुक्त होता है. भारत में हाथी दांत की नक्काशी के लिए दिल्ली, मैसूर, केरल और विशाखापट्टणम महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हैं. हाथी दांत की नक्काशी काफी हद तक उस विशेष काल के लोगों की विचारधारा को भी दर्शाता है.
संग्रहालय के संग्रहों में मनुष्यों, पौराणिक विषय संबंधी, जानवरों, शतरंज के खिलाडियों, पेपर-कटर, फर्नीचर और चित्रकलाओं जैसे विषयों पर वस्तुएं हैं. इस संग्रह की मूल्यवान वस्तुओं में से एक, जिसकी विद्वानों और आम लोगों द्वारा भी सराहना की जाती है, वह है - 'आइवरी मैट' है, जिसका ताना – बाना और कढ़ाई हाथीदांत से की हुई है. इसे देखकर सुखद आनंद की प्राप्ति होती है और शिल्पकारों के कलाकुशलता देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. यहां एक दोहरी कुर्सी है जो मूल रूप से टीपू सुल्तान की है और जो फ्रांस के राजा लुईस XVI द्वारा उसे उपहार में दी गई थी, यह संग्रहालय का एक महत्वपूर्ण संग्रह है.
इस संग्रहालय के 'शतरंज' और 'चौसर' का जोड़ा एक रोमांचकारी समूह बनाते हैं. शतरंज के सेट में प्यादों को सैनिकों के रूप में और राजा तथा रानी को घोड़े के साज – समान सहित हाथियों की सवारी पर दिखाया गया है. इन शतरंजों को रंग से रंगा गया है और ये उत्तरी भारत के 18वीं और 19वीं शताब्दी से संबंधित हैं.
संग्रहालय में 'पेपर-कटर' का संग्रह भी है, इसका बड़ा आकार और जटिल नक्काशी दर्शकों की नजर खींच लेता है. इसका हत्था एक स्वाधीन हाथी का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें तीन लोग बैठे हैं, यह प्रशंसनीय नक्काशी किए पैडस्टल पर खड़ी है. ब्लेड पर छिदा हुआ डिज़ाइन इसके झालरदार बार्डर को दर्शाता है और बीच में फूलों और सितारों जैसा पैनल है. यह संग्रह 19वीं शताब्दी का है, जो दिल्ली से लाया गया है.
संग्रहालय की ऊपर वर्णित कलाकृतियों के अलावा संग्रहालय में जुलूस के दृश्यों, महीन नक्काशीदार बक्से, उड़ती फेंटनी, जानवरों और बिस्तरों की आकृतियों का संग्रह भी है. साथ ही, संग्रहालय में हाथी दांत का एक छोटा संग्रह - जिसने दिल्ली में बहुत लोकप्रियता हासिल की, भी है. इसके विषयों को प्रसिद्ध मुगल, राजस्थानी और पहाड़ी लघुचित्रों से लिया गया है.
Ivory chessmen, 19th century, Europe.