सेंट्रल ब्लॉक, पहली मंजिल
- होम / गैलरियां / सेंट्रल ब्लॉक, पहली मंजिल / जेड गैलरी
जेड गैलरी
मुंबई का प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय (सीएसएमवीएस), वाराणसी का भारत कला भवन और नई दिल्ली का कला संग्रहालय - जैसे कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश भारतीय संग्रहालयों में हरे पत्थर (जेड) से बने जेड संग्रह नहीं है. इस संदर्भ में सलारजंग संग्रहालय का जेड संग्रह बड़ा महत्व रखता है. यह अपने बड़े आकार, विविधताभरे और बेहतर कारीगरी के कारण निस्संदेह ही प्रभावशाली है. संभवत: यह विश्व में जेड संग्रहवाला सबसे बड़ा संग्रहालय है.
जेड एक अर्द्ध कीमती पत्थर होता है, जो बहुत ही छोटा और दागदार होता है और यह लगभग शुद्ध सफेद, हरा पन्ना के रंग और काले हरे रंग का होता है. अपने ऐसे आकर्षक रंगों और बहुत ही कठोर होने के कारण ही कारीगरों द्वारा कलात्मक आकार देने के के लिए इसे बड़ी उत्सुकता से इस पत्थर को चुना जाता है. पुराने समय में, राजाओं और अमीरों द्वारा अपने संग्रहों में जेड से बनी वस्तुएं रखने को प्रतिष्ठा का परिचायक माना जाता था.
विद्वानों के अनुसार, जेड को अपने संग्रह में रखे जाने का संबंध मुगल सम्राटों के दरबारों से जुड़ा है. हालांकि, भारतीय कलाकारों को कठोर चमकीले और गोमेद जैसे कठोर पत्थरों को आकार देने और उन पर चित्र उकेरने के कार्य में महारत हासिल थी, पर 16वीं शताब्दी से पहले भारत में जेड से बनी वस्तुओं के संग्रहण का कोई चलन नहीं था.
कहा जाता है कि जेड पत्थरों पर नक्काशी की कला 15वीं शताब्दी में समरकंद में उलुग बेग के संरक्षण में आरंभ हुई थी, जो तिमुर का पोता था. सलारजंग संग्रहालय में जहांगीर, जो बाद में मुगल साम्राज्य के सिंहासन पर बैठा, की एक नक्काशीदार जेड पत्थर की बनी कटार है. जहांगीर के उत्तराधिकारी शाहजहां ने भी जेड पत्थरों पर की गई नक्काशियों को प्रोत्साहित किया और यह उसके काल में ही जेड नक्काशी अपने चरम पर पहुंची तथा इसे पूर्ण परिपक्वता मिली.
सलारजंग संग्रहालय में रखे गए भारतीय जेड संग्रह अपनी कारीगरी में डिजाइन की गुणवत्ता और परिपूर्णता के लिए प्रसिद्ध हैं और जेड कारीगरों द्वारा प्राप्त उनकी परिपूर्णता का जीवंत साक्ष्य है. अधिकांश जेड वस्तुओं की पारंपरिक पुष्प डिजाइन से नक्काशी की गई है और वे बहुत ही चमकदार और चमकाए गए दिखते हैं. ऐसी जेड वस्तुओं की संख्या बहुत अधिक है, जिनमें हीरे, रूबी, पन्ना और फ़िरोज़ा जैसे कीमती पत्थरों को जड़ा गया है.
संग्रहालय में मदिरापान के कप, दर्पण के पीछे लगाए जानेवाले फ्रेम, हुक्कों के पाइपों के अंत में लगनेवाली वस्तु, प्लेटें, कप, ताबीज और बड़ी संख्या में तलवारें और कटारें भी हैं. शिल्पकारी और सजावट के आधार पर कहा जाए, तो इस संग्रहालय में अधिकांश वस्तुएं 17वीं से 1 9वीं शताब्दी के बीच की बनी हुई वस्तुएं हैं.
संग्रहालय में रखे ऐतिहासिक महत्ववाले कटारों में दो कटारें शाहजहां और नूरजहां की हैं. इसके अलावा, संग्रहालय में औरंगजेब के जेड से बनी कटार भी है. संग्रहालय में लगभग 130 कटारों के हथ जेड़ से बने हैं और इनमें से कुछ पर कीमती पत्थर भी जडे हैं.