सेंट्रल ब्लॉक, पहली मंजिल
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उपयोगी सामान गैलरी
उपयोगी सामान गैलरी एक नज़र में संग्रहालय की अन्य गैलरियों की तुलना में सामान्य प्रतीत होती है. लेकिन, कलाकृतियों को ध्यान से देखने पर अहसास होता है कि इनमें से कई वस्तुएं सैकडों वर्ष पहले किसी के द्वारा उपयोग की जा चुकी हैं. लोटा (पानी का गोलाकार बर्तन), पूजा का मेज, मल, स्क्रॉल कवर, हुक्का (हबल-बबल) स्टैंड, अखरोट काटने के चाकू और मेक-अप बॉक्स जैसी सामान्य सी लगनेवाली वस्तुएं हैं और इनमें से प्रत्येक का अपना एक आकर्षण है. यह किसका रहा होगा? उसने इसका कितना उपयोग किया होगा? क्या वे इसे पाकर खुश थे? क्या यह अपने मालिक या घर के लिए सुखद वस्तु थी? क्या वे इसे ठीक से रखा करते थे? उन्होंने इसे कब हटा दिया या इसका इस्तेमाल बंद कर दिया. ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं, जो कोई भी पूछ सकता है. ये जेड या चीनी मिट्टी के बर्तन जैसे नहीं हैं, लेकिन ये निश्चय ही कल्पनाशक्ति का उपयोग करके बनाए गए हैं, इन्हें सजाया जाता है, इन्हें मजबूत बनाया जाता है और ये कुछ अलग, विचित्र आकार के बनाए जाते हैं. जैसे - गहनों के बड़े बक्से, पानदान और मसालों के डिब्बे, चेहरे के आकार का मेक-अप बॉक्स, पिचकारी के आकार की महिला और समोवर (पानी गर्म करनेवाला हीटर) वस्तुओं देखने लायक हैं. ये वस्तुएं दर्शकों को 18वीं और 19वीं सदी के भारतीय परिवार की वस्तुओं की याद दिला देती हैं.
ढक्कन सहित कांस्य बर्तन, 19वीं शताब्दी.
यशोदा व बाल कृष्ण के आकार में तांबे का सरौता, 18वीं शताब्दी.